हसरतें
आंसुओं के साथ आंखों से हसरते निकलती क्यू नही,
एक अनजान कड़ी है जो कभी सुलझती क्यू नही,
सूखे पत्तों से रेशम बनाया है हमने जनाब इस तरह,
टकराई परछाइयां मुद्दत पहले मगर उलझती क्यू नही,
शब ए गम के...
एक अनजान कड़ी है जो कभी सुलझती क्यू नही,
सूखे पत्तों से रेशम बनाया है हमने जनाब इस तरह,
टकराई परछाइयां मुद्दत पहले मगर उलझती क्यू नही,
शब ए गम के...