...

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“हाय! हम मरे हुए, श्मशान से, कैसे निकलेंगे"
हाय! हम मरे हुए,
श्मशान से, कैसे निकलेंगे,,
पानी गंदा ही, ना हो,
तो कमल, कैसे निकलेंगे,,
मेरी खास, तनहाई,
खुद, मुझ पर, मर मिटती है,,
न जाने, ये शोरो के जनाजे,
कैसे निकलेंगे,,
मेरी तब्ज्जू है,
खास, ख्याल रखना,
इन मेहखानो का,,
ये चलते रहेंगे, जब तक,
हम जैसे निकलेंगे....✍️
© #Kapilsaini