...

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देखो ना..जीने लगे हो तुम
कहाँ हो..कब आओगे ..कितनी देर हो गई एक मेसेज नहीं कर सकते थे ??
मेरे कितने सवालों से परेशान रहते थे तुम ...और मैं बैचेन !!!
इसी बात पर न जाने कितनी तक़रार हुआ करती थी
और एक दिन तुमने मुझे अच्छे से समझा दिया कि ,,
तुम्हारी भी कोई पर्सनल जिंदगी है इमोशन और एहसास है जिसे तुम अकेले जीना चाहते हो ...
और में समझ रही थी कि..जिंदगी तो तब है जब साथ है !!!
अब देखो ना कोई शिकायत नही रही मुझे तुमसे ..और तुम भी परेशान नहीं रहते मेरे सवालों से
अब सब कुछ सही हो गया .. तुम जीने लगे हो और मैं जी रही हूँ !!!!
© speechless words