प्यारे दो हज़ार पच्चीस
प्रिय दो हज़ार पच्चीस आना तो कुछ यूंँआना,
मेरे मन को, जीवन को, विनम्रता की हवाओं से भोर- विभोर कर जाना।
प्यार ही बांटू, प्यार ही पाऊं,
इस नवीन वर्ष में दुआएं ख़ूब दूं, दुआएं ख़ूब पाऊँ।
अपनी सीमाओं के परे का जहाँं देखना चाहती हूँं,
दो हज़ार पच्चीस में अपने कुछ अलग रूप भी...
मेरे मन को, जीवन को, विनम्रता की हवाओं से भोर- विभोर कर जाना।
प्यार ही बांटू, प्यार ही पाऊं,
इस नवीन वर्ष में दुआएं ख़ूब दूं, दुआएं ख़ूब पाऊँ।
अपनी सीमाओं के परे का जहाँं देखना चाहती हूँं,
दो हज़ार पच्चीस में अपने कुछ अलग रूप भी...