सपना बिखरता है
तब एक ताना अखरता है
गिरकर नर कभी राह पर
फिर खड़े होने से डरता है
तब पतन निकट ही मानो तुम
परिस्थिति विकट ही जानो तुम...
गिरकर नर कभी राह पर
फिर खड़े होने से डरता है
तब पतन निकट ही मानो तुम
परिस्थिति विकट ही जानो तुम...