हिंदी (एक सभ्यता)
*निजता में निजता नहीं , जब भाषा का नाहीं ज्ञान*
*जो निज भाषा सीख ली , फिर जग में सब सम्मान*
जो जीना सिखादे वो होती है हिन्दी
जो भेदभाव मिटादे वो होती है हिन्दी
समाहित रखती है खुद में अन्नंत शब्दकोश
जो सबकुछ बतादे वो होती है हिन्दी
जो वीरों की गाथा सुनादे वो होती है हिंदी
जो सदभाव फैलादे वो होती है हिंदी
सुसज्जित भाव रखती है हृदय पटल पर
जो नेमी बनादे वो होती है हिंदी
जो वेदों की वाणी सुनादे...