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वक्त लगता है....
ये कोई रेस नहीं
जिंदगी है मेरी
ना दौड़ा इतना
ठहरने में वक्त लगता है
थक गई हूं मैं
अब ना सह पाउंगी
ना गिरा इतना
गिरकर उठने में वक्त लगता है
टूट जाउंगी
बिखर जाउंगी
ना कर इतना ज़ुल्म
संभलने में वक्त लगता है
हुं मैं एक कली
कोमल से पली
तू समझता क्यों नहीं
फुल बनने में वक्त लगता है।
© Sankranti chauhan
जिंदगी है मेरी
ना दौड़ा इतना
ठहरने में वक्त लगता है
थक गई हूं मैं
अब ना सह पाउंगी
ना गिरा इतना
गिरकर उठने में वक्त लगता है
टूट जाउंगी
बिखर जाउंगी
ना कर इतना ज़ुल्म
संभलने में वक्त लगता है
हुं मैं एक कली
कोमल से पली
तू समझता क्यों नहीं
फुल बनने में वक्त लगता है।
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