...

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हम।
क्या हो?के किसी रोज़ गर मर जाए हम!
यह एक हुनर अपने आप में कर जाए हम।

रास्तें अनजान हैं,समंदर अजनबी है सारे,
गर मिल जाए मंज़िल तो अपने घर जाए हम।

क्यूं किसीके आने का इंतज़ार,क्यूं कोई याद?...