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जो प्रेम नगर में गया ही नहीं प्रियतम का ठिकाना क्या जाने।
जिसने कभी प्रेम किया ही नहीं वो प्रेम निभाना क्या जाने।
जो विरह अनल में जला ही नहीं वो,
उस तपन की पीड़ा क्या जाने।
जो प्रेम के पथ पर रूक ना सकें, जीवन भर चलना क्या जाने।
जिसने कभी प्रेम किया ही नहीं वो,
प्रेम निभाना क्या जाने।
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