Dear Sushant 🙂
यूँ बिन बोले तेरा रुख़्सत हो जाना, कुछ अच्छा तो नहीं
दम घोंटती बातों की दबिश में खुद को फना किया, तू सच्चा तो नहीं
अमिट छांप जो तूने किरदारों से बनाये, एक रिश्ता सा जुड़ा, जो कच्चा तो नहीं
कैसे समेटें अब यादों में उन लम्हों को, नादान है दिल, पर बच्चा तो नहीं
आँखें खोलूँ तो...
दम घोंटती बातों की दबिश में खुद को फना किया, तू सच्चा तो नहीं
अमिट छांप जो तूने किरदारों से बनाये, एक रिश्ता सा जुड़ा, जो कच्चा तो नहीं
कैसे समेटें अब यादों में उन लम्हों को, नादान है दिल, पर बच्चा तो नहीं
आँखें खोलूँ तो...