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प्यार
प्यार क्या हैं वह शब्दों में बयां करना मुश्किल हैं, प्यार को समझना मुश्किल हैं, प्यार के एहसास से बचना मुश्किल हैं, अगर प्यार हो जाए तो उस प्यार को भुलाना मुश्किल हैं , इज़हार करना प्यार हैं या उस प्यार को दिल में रखना ही प्यार हैं, कभी कभी उस प्यार को हसीन मोड़ देकर छोड़ना प्यार हैं,प्यार क्या हैं किसे प्यार कहते हैं ये भी कितना प्यारा सवाल हैं, प्यार वो नहीं की मेरे दिल में सिर्फ वो हैं प्यार तो वो हैं की मेरे दिल में उसके अलवा कोई और नहीं, प्यार वह नहीं जो मेरे सपनों को तोड़े प्यार तो वह है जो मेरे सपनों को मेरे सामने लाकर खड़ा कर दे, प्यार वो नहीं जो मेरे अपनों को मुझसे दूर करदे प्यार तो वो हैं जो मेरे अपनों को मेरे करीब ले आये, प्यार वो नहीं जो बेज़त करे प्यार तो वो हैं जो मेरी इज़्ज़त के लिए लड़ जाए,
हमेशा हाथ पकड़ना प्यार नहीं, आंसू पोछना प्यार हैं,फ़िक्र करना प्यार हैं हक़ जताना प्यार हैं,हमेशा ख़ुशी ख़ुशी साथ रहे वो प्यार नहीं लड़ना झगड़ना रूठना मनाना प्यार हैं अगर वो मेरे पास हैं तभी उसको मुझसे प्यार हैं वो प्यार नहीं प्यार तो वो हैं दुरी में भी उतना ही प्यार रहे वो प्यार हैं ,
कुछ मांगना प्यार नहीं, देना प्यार हैं, उसकी हर ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी कुर्बान करना प्यार हैं, जो सूरत से करे वो प्यार नहीं जो सीरत को चाहे वो प्यार हैं, जो मुसीबत में साथ छोड़ दे वो प्यार नहीं, जो हमेशा ढाल बने वो प्यार हैं, किसी का होना प्यार नहीं बस उसका ही रह जाना प्यार हैं,रूह तक जो समा जाए वो प्यार हैं,प्यार की सही परिभाषा को बयान कर पाना मुश्किल हैं, प्यार ना हो तो ठीक, अगर हो जाए तो उस प्यार के बिना रह पाना मुश्किल हैं.

© नेहा sharma