...

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चन्द लम्हें
चन्द लम्हो कि उम्मीद में
हमने सालो गुजार दिए
तेरे खतो के इंतजार में

हम थे,
अपनी पलके बिछाये हुए
युहीं नहीं,
पागल कहलाते थे हम
तेरी रूह ऐ मुहुबत् में

तेरे मुस्कुराते चेहरे को
अब भी सजाये बैठे हैं
हम तो हुजुर,
कमबख्त तेरी कैफ ऐ मुहुबत् में


© Confusedtales