मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया”?
आगे हुयी राह से मानक हो गया था
जीवन को लेकर बेपरवाह हो गया था
मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया”?
नींद से मेरा नाता टूट गया था
भूख के पन्नों से भी ये मन रूठ सा गया था
मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया”?
...
जीवन को लेकर बेपरवाह हो गया था
मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया”?
नींद से मेरा नाता टूट गया था
भूख के पन्नों से भी ये मन रूठ सा गया था
मैं अक्सर खुद से पूछता हूँ “मुझे क्या हो गया”?
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