...

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मेरी बेफ़स्ल मोहब्बत
आशिक़ी के सारे सफ़हे फाड़ देना,
तुम सीना उन सारे ख्वाबों को जो,
कभी दिल में तेरे पला बढ़ा करते थे!

दिल में आईना-ए-इश्क़ उतार लेना,
मुझ में जीना उन कतरनों को जो,
कभी अक्स को तेरे ढ़का करते थे!

यूं तो आम है मोहब्बत...