...

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किसान की हालत
किसान सुबह उठकर फ़सल देखता है,
फिर उससे आस लगाकर बैठता है।
किसान बेचारा मेहनत करता है ,
उस मेहनत का फिर फल चाहता है।
किसान बेचारा बहुत आस लगाता है ,
फिर उसे फल नहीं मिल पाता है ।
आस टूटी ,साँस टूटी बस मर नहीं पाता है,
इस बरसात से वो किसान बिलख बिलख रोता है।
सबकी आवाज सरकार सुन लेती है ,
लेकिन किसान की कोई आवाज सुन नहीं पाता ।
वो सबका पेट भरता है,
और खुद भूखा सो जाता है।
ऐसी है किसान की हालत,
जिसे कोई जान नहीं पाता है। ।
vikansha