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समझा रहा है।
थक चुकी हूँ तुमको को सुनकर।
हर कोई मुझे समझा रहा है।
खुद को कभी देखा नहीं और मुझे रिश्ते समझा रहा है। भूल जाता है खुद को जब हद पार कर जाता है। पीकर शराब मुझे रिश्ते बता रहा है।
जो खुद नहीं सम्भला वो मुझे घर सम्भलना सीखा रहा है।खुद भूल गया है प्यार को और मुझे प्यार करना नहीं आता ये बता रहा है।
जो भूल गया खुद वो सात वचन मुझे याद दिला रहा है। मुझे अपनी जिंदगी बोलने वाला मेरी ही जिंदगी को ही नर्क बना रहा है।
© संगीता बिष्ट नेगी
23/7/2020
हर कोई मुझे समझा रहा है।
खुद को कभी देखा नहीं और मुझे रिश्ते समझा रहा है। भूल जाता है खुद को जब हद पार कर जाता है। पीकर शराब मुझे रिश्ते बता रहा है।
जो खुद नहीं सम्भला वो मुझे घर सम्भलना सीखा रहा है।खुद भूल गया है प्यार को और मुझे प्यार करना नहीं आता ये बता रहा है।
जो भूल गया खुद वो सात वचन मुझे याद दिला रहा है। मुझे अपनी जिंदगी बोलने वाला मेरी ही जिंदगी को ही नर्क बना रहा है।
© संगीता बिष्ट नेगी
23/7/2020
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