इश्क में
मैं टूट के बिखरना चाहती हू,,
तेरी बाहों में सिमटना चाहती हू,,
आ एक दफा फिर गले से लगा ले,,
अपनी पनाहो में छुपा ले,,
अपनी बाहों में समा ले,,
तेरे कांधे पे सर रख रोना चाहती हू,,
तेरे साथ हर अहसास जीना चाहती...
तेरी बाहों में सिमटना चाहती हू,,
आ एक दफा फिर गले से लगा ले,,
अपनी पनाहो में छुपा ले,,
अपनी बाहों में समा ले,,
तेरे कांधे पे सर रख रोना चाहती हू,,
तेरे साथ हर अहसास जीना चाहती...