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मन के हारे हार है,मन के जीते जीत
क्या मिलेगा ग़म को ढोकर ,
हाथ आएगा रोग ही रोकर ,
मन मस्तिष्क को रुग्ण न होने दें ,
रोक लें आँसू ,खुशियाँ बोकर !!
माना कि कठिन है ग़म से उबरना
पर वक्त के साथ चलना तो है ,
इस दौर से दूर निकलना तो है !!
मन को मनाकर तन को ,जीवन को
बचाना तो है इस छाया से बचना तो है ,
मन के हारे हार है ,मन के जीते जीत
अपनाकर सूत्र ये ग़म के भंवर से निवरना भी है !!
©MaheshKumar Sharma
31/5/2023
#EmotionalDuality
#writcopoem
#MeriKavitaye
#maheshkumarSharma
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