...

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" नहीं "
" नहीं "

नींद मेरी आँखों में समाहित है..
मगर दर्द मेरे मन का मुझे सोने
नहीं देता..!
चाहूँ भी ग़र जोरों से चीखना
मगर ये दिल मेरा मुझे कभी
भी रोने नहीं देता..!
रातें गुजरती हैं मगर करवटें
अदल-बदल..!
हाय ! सांसे भी चलतीं है अजब
सी मचल-मचल..!
कैसे दिलासा खुद को मैं दिलाऊँ..?
कह कर खुद को यह कि घंघोर
रात के बाद ही सवेरा आता है..!
कैसे मन को मेरे मैं प्यार की थपकी लगाऊँ..?
गुजर जाएगा यह हालात भी एक दिन हर पल मैं अपने आप को दिलासा दिलाऊँ..!
अचानक ही अनोखा चमत्कार देखना मेरे जीवन में भी होगा..!
आएगी राहत मेरी जिन्दगी में भी देखना फिर से बहार में आएगी रानाइयाँ..!
अब तुम शांति के वन में कर लो विचरण अपने भटक रहे मन को तुम एकाग्र करो अपनी सांसों की लय पर..!
फिर मीठी-मीठी नींद आप तुम्हें अपनी बाहों में भर कर चैन सुख दिलाएगी..!

🥀 teres@lways 🥀