बेबस!
वीरान थे सब रास्ते,
हम ज़ख्मी कैसे काटते।
अपनो को भी कैसे समझाते,
बस चलते रहे आग बुझाते।।
अंत...
हम ज़ख्मी कैसे काटते।
अपनो को भी कैसे समझाते,
बस चलते रहे आग बुझाते।।
अंत...