...

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ख़ामोश...

पल पल टूटने से पहले एक दिल है ख़ामोश...
चांद को देख रोज़ एक आशिक़ है ख़ामोश...

मुश्किल वक़्त मेरा आया तू है ख़ामोश...
कल तेरा आएगा मैं भी रहूंगा ख़ामोश...

इबादतगाह की देहलीज़ पे गुनेहगार है ख़ामोश...
खुदा का इंसाफ लाज़िम है अब रहना हरदम ख़ामोश...

ज़रुरी नहीं ग़म के समंदर में हर कोई आंसू के कतरे बहाए,
लोग गहराई में डूब कर भी मुस्कान रख होते है ख़ामोश...

© Shabbir_diary