...

9 views

आखिर क्यूं???
मुझे ख्वाहिश थी जिसके साथ की
उसे तो सिर्फ मुझसे मतलब था।
मैं उसे प्यार करती रही
पर वो बस हर पल मुझे अजमाता रहा।
फिर भी ये सिलसिला थमा नहीं
दिल तोड़कर भी उसका मन रजा नही।
ना जाने मेरा क्या कसूर था?
उस फरेबी से प्यार करना ही भूल था।
मैंने दिया हर बार उसे मौका
पर अब न भूलूंगी उसका कोई धोखा।
साज़िश कर वो कभी थका नहीं
आज मेरे दिल में उसके लिए कुछ बचा नहीं।
आखिर उसके गुनाहों की क्यूं मैं खुद को सजा दूं?
उस जैसे कायर को क्यूं मैं अपने दिल में पनाह दूं??


© Sonali