उस पर मेरा हक है...
कल कल बहती ठंडी हवा सी
सिमट जाती थी,
वो हवा थी
मेरे छत से
गुजर जाती थी..
उबड़ खाबड़ पगडंडियों से बह कर
मंजिल तक अपनी पहुँच जाती थी,
वो नदी थी
मेरे पैरो को छु कर
गुजर जाती थी..
मूसलाधार बूँदों मे बदल...
सिमट जाती थी,
वो हवा थी
मेरे छत से
गुजर जाती थी..
उबड़ खाबड़ पगडंडियों से बह कर
मंजिल तक अपनी पहुँच जाती थी,
वो नदी थी
मेरे पैरो को छु कर
गुजर जाती थी..
मूसलाधार बूँदों मे बदल...