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मजबूरियों में इश्क़ कमाल होता है....
रस्मो के बीच अरमानों की लहरों को,
कैसे कहे कैसे लपेटे जी रहे है।
खामोश रहकर अपनी बेचैनियों को,
कैसे खुद में हम समेटे हुए है।
हालात एक ही जैसे नजर आये हमको,
अब क्या करें दिल के हाथों मजबूर है।
कितना मुश्किल वक़्त गुज़ार कर जीए ,
एक दूसरे की चाहत में दिल सहम रहा है।
© Niharik@ ki kalam se✍️
कैसे कहे कैसे लपेटे जी रहे है।
खामोश रहकर अपनी बेचैनियों को,
कैसे खुद में हम समेटे हुए है।
हालात एक ही जैसे नजर आये हमको,
अब क्या करें दिल के हाथों मजबूर है।
कितना मुश्किल वक़्त गुज़ार कर जीए ,
एक दूसरे की चाहत में दिल सहम रहा है।
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