उम्मीद की स्याही
देखी है
कलम मेरी
कई रात अंधेरे
लिखी है
कई बार
एक नए सवेरे
उम्मीद की स्याही
कभी खत्म नहीं होती
बारिश की तरह
बहता है अल्फ़ाज़ मेरे
पिंजरे में कभी
और खुला आसमान
हर स्थिति में
रहता है अल्फ़ाज़ मेरे
© prashanth K
कलम मेरी
कई रात अंधेरे
लिखी है
कई बार
एक नए सवेरे
उम्मीद की स्याही
कभी खत्म नहीं होती
बारिश की तरह
बहता है अल्फ़ाज़ मेरे
पिंजरे में कभी
और खुला आसमान
हर स्थिति में
रहता है अल्फ़ाज़ मेरे
© prashanth K
Related Stories