...

15 views

उम्मीद की स्याही
देखी है
कलम मेरी
कई रात अंधेरे

लिखी है
कई बार
एक नए सवेरे

उम्मीद की स्याही
कभी खत्म नहीं होती
बारिश की तरह
बहता है अल्फ़ाज़ मेरे

पिंजरे में कभी
और खुला आसमान
हर स्थिति में
रहता है अल्फ़ाज़ मेरे

© prashanth K