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आइए आज कृष्ण रस में रम जाए
मृगतृष्णा सी सूरत, नैन मधुशाला है
हाथ में बंसी, कंठ पुष्प माला है
धर्म रक्षण को न्याय करे, मोहित उनपे हर बृजबाला है
गोकुल की गलियों की जान, ये हमारे बांकेबिहारी नंदलाला हैं।

सांवरे रंग पर राज करे
भक्तो के सब कष्ट हरे
पाप मिटाने से न ये डरे
प्रेम रस से हमेशा हृदय भरे

जग के तारणहार हमारे, अनगिनत इनके अनुयाई है
देवकी वसुदेव के घर ये जन्मे, पर यशोदा इनकी माई है
भ्रातृ प्रेम की छत्र छाया है जब स्वयं शेषनाग बलराम इनके भाई है
प्रेम रंग में जन्म बिताया, प्रेम ही इनकी रूबाई है
प्रेम धुन है राधे राधे, जो श्याम बंसी में छाई है
युद्ध में बिना शस्त्र उठाए भी, धर्म युद्ध के ये अंगाई है
कर्महीन कर्म का रहस्य बताया कि ‘कर्म ही जीवन कमाई है’
१६,००० स्त्रियों का मान बचाया, नरकासुर से भी की लड़ाई है
रुक्मणि का प्रेम, मीरा की भक्ति, द्रौपदी का विश्वास स्वारने वाल येे ठाकुराई है
प्रेम हृदय से पुकारो तो हर हृदय में कृष्ण छवि समाई है
चंचल मन, मुस्कान रत्न, अतुल्य चिंतन, मनमोहन हर्षायी है
अर्जुन, सुदामा, द्रौपदी ने इनके सखा प्रेम मिसाले गाई है
पुत्र, प्रेमी, सखा, पति, पिता, हर रूप में ये रघुराई है
हर कार्य में श्रेष्ठ, हर भक्त ने इनमे नारायन छवि पाई है
यूं ही नही इनकी स्कशियत की प्रेरणा पूरे जगत पे छाई है
यू ही नहीं इनके दिए गीता ज्ञान की कसमें पूरे विश्व ने खाई है

चलो आज फिरसे कृष्ण रस में रम जाए
आज अपने बंसी बजइया की बंसी में खो जाएं
इनके जनमुत्सव में नाचे और गाए,
जन्माष्टमी की सबको बांटे हार्दिक शुभकामनाएं
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© मिलन