...

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!! भूल जाता हूँ !!
मैं भूल जाया करता हूँ
अक्सर .......
रास्ते जो छोटे हों या बड़े ,
गलियां अपनी हों या पराई ,,

मैं नही पहचान पाता ग्यारह
दिशाओं को ,
उसके लिए मुझे सहनी पडती है
नाराजगी दिग्पालों की ,,

और मैं भटक जाया करता हूँ
मुझे ज्ञात नही रहता कुछ ,
मेरे लिए आश्चर्य से परिपूर्ण नही
कि , मैं अपने घर की गली
भूल जाता हूँ ,,

मेरा भटकना जैसे मानो तय है
किन्तु ,,
वो जो मुझे खोजता होगा या मुझे खोजेगा
वो अवश्य मुझ तक पहुंचेगा
बिना कोई मार्ग भटके ,
इस पर मेरा विश्वास प्रबल है ,,

मेरा समय चक्र चल रहा है मेरे
कालचक्र की और तेजी से ,,
किन्तु उसकी सदी में ठहरा हुआ हूँ मैं ,,

असल में ,
मैं कुछ नही भूलता ,
सिवाय खुद के !!

© निग्रह अहम् (मुक्तक )