...

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वह खाली बरामदा,

एक ही दिन तो नहीं देखा तुम्हे,
ए दोस्त! सिखाया तुमने,
बिना मतलब की दोस्ती
बिना जरूरत का प्यार
हम साथ हो सकते है
हंसने को,
हम साथ हो सकते है
रोने को
हम साथ हो सकते है
एक दूसरे को समझने को
इस दुनिया को बताने को कि दोस्ती की सीमा नहीं होती,
दोस्ती बस दोस्ती होती है!
वह को बरामदा बस एक दिन की ही बात होगी...
कल सुबह होगा वह हसता मुस्कुराता चेहरा,
कल होगा फिर अहसास हमारे कुछ होने का ,
फिर गूंजेगी आवाज उस बरामदे में,
फिर चहकेगी आवाज़ मेरे दोस्त की,
फिर होगा कल जिंदगी को निस्वार्थ होने का अहसास...

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