...

3 views

आख़िर भूल गए
आख़िर भूल गए
ज़िंदगी से प्यार
जैसे एक उधार
चंद साँस किस्तों में
और इश्क़ जैसे
उम्र के बही खाते में
ब्याज साल दर साल
और मूल का पता नहीं
सब एकसार हो जाता है
ज़िन्दगी और तुम
आख़िर कुछ भूली
याद राख के साथ
© "the dust"