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सिर्फ बढ़ती नहीं है उम्र
उम्र बढ़ती रहती है
मगर वो हजार सपने छूट जाते है
जो हर गलती पे हस देते थे
हमेशा
वो अपने छोटी से बातों पर
रूठ जाते है
झुठी हो जाती है वो सच्ची हसीं
बार बार कभी ना टूटने वाले
दिल टूट जाते है
जिनको चुप कराना पड़ता था कभी
वो आपने आप चुप हो जाते है
जो अलग देख जाते थे भीड़ में भी
वो खुद ही में खो जाते है
जैसे बढ़ती है उम्र
सब एक से हो जाते है
© chetan
मगर वो हजार सपने छूट जाते है
जो हर गलती पे हस देते थे
हमेशा
वो अपने छोटी से बातों पर
रूठ जाते है
झुठी हो जाती है वो सच्ची हसीं
बार बार कभी ना टूटने वाले
दिल टूट जाते है
जिनको चुप कराना पड़ता था कभी
वो आपने आप चुप हो जाते है
जो अलग देख जाते थे भीड़ में भी
वो खुद ही में खो जाते है
जैसे बढ़ती है उम्र
सब एक से हो जाते है
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