...

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भगवान का दूसरा रूप: माँ
इस ममता के कारण जीवन जीते है हम,
उन हाथो से बना खाना खाते है हम,
उन मीठी - मीठी लोरियो से सोते है हम,
उस जादू की झप्पी से उठते है हम।
भगवान का विशेष रूप है वो,
अद्भुत कलाकृतियो की जान है वो,
पेड़ के समान हमारी छाया है वो,
हम सबकी "माँ" है वो।

संसार दिखाया उन्होंने,
चलाना सिखाया उन्होंने,
हाथ पकड़कर रखा हमेशा,
अपनी छाया में छुपाकर रखा हमेशा।
भूख की आग न जलने दी कभी,
आंसू न टपकने दी कभी,
डांट में भी प्यार रखती है वो
हम सबकी "माँ" है वो।

सहती है वो हर मुश्किल हमारे लिए,
सबकी डांट सुनती है हमारे लिए,
लेकिन प्यार का झील न कभी कम हुआ
और न ही कभी कम होगा,
सुबह उठकर बनाती है वो हमारे लिए खाना,
लेकिन कभी - कभी उनको ही न मिले उसमे से एक दाना,
पर कभी न की कोई शिकायत,
बस हल्की सी मुस्कुराहट देती गई।
जन्नत की पर्याय है वो
हम सबकी "माँ" है वो।

© Dxwriter
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