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फुर्सत नहीं...
जिम्मेदरियों से थक...बैठ,जब लेती हूँ गहरी सांस
नजर आती है, जिम्मेदारी कल की
पर फिर भी फुर्सत नहीं, कि खोलूं
वो जीवन के पन्ने खोल,
घूम आऊं वह दुनिया,
वह कच्ची गलियां, नीम का पेड़...
वह सखियों संग खिलखिलाती बतियाँ ,
वह दहलीज पर बिखरे खिलोने,
वह दादी की डांट, जहाँ जिम्मेदारियों का
ज़रा भी ना होता एहसास..,
पर आज "फुर्सत नहीं"...
© अनकहे अल्फाज़...
#wirtcopoem #writco
नजर आती है, जिम्मेदारी कल की
पर फिर भी फुर्सत नहीं, कि खोलूं
वो जीवन के पन्ने खोल,
घूम आऊं वह दुनिया,
वह कच्ची गलियां, नीम का पेड़...
वह सखियों संग खिलखिलाती बतियाँ ,
वह दहलीज पर बिखरे खिलोने,
वह दादी की डांट, जहाँ जिम्मेदारियों का
ज़रा भी ना होता एहसास..,
पर आज "फुर्सत नहीं"...
© अनकहे अल्फाज़...
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