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मैं और मेरा दर्पण ॐ
#दर्पणप्रतिबिंब

दर्पण के सामने आज कुछ
फुर्सत में यूं ही बैठे थे।
निहारेंगे खुद को दर्पण में,
ये सोचकर हम बैठे थे।

नज़र उठाकर देखा खुद को
सहम जरा हम गये थे।
सामने खुद को न पाकर
कुछ डर से हम गये थे।

सामने जैसे कोई और बैठा हों
वे क्षण कुछ ऐसे थे।
फिर गौर से देखा आईना तो
हम हीं वहां बैठे थे।

झुरियां अनेक चेहरे पर
आंखों के नीचे घेरे काले थे।
रौनक बिल्कुल नहीं चेहरे पर
जैसे अंधियारे हीं अंधियारे थे।

चेहरे की रौनक चलीं गईं सब sk की
मेरे लाल sk के साथ साथ।
वो कहना किसी का मुझे देख कर
कुछ खो गया है क्या कुछ तुम्हारा।
वो किस्से दर्पण में सहीं सही
और सच्चे नजर आए थे।

उम्र से पहले बुढ़े हों गए हैं sk gujjar
आज आईने ने ये दिखलाया था।
सच्चाई देख कर आईने में
हम बहुत अधिक घबराएं थें।
तुम्हें याद करके sk हम
आईने के सामने खूब रोए थे।
दर्पण के सामने खूब रोए थे।

मन की आवाज ॐ
एस के हरियाणा ✍️
1/7/2024

sk ही writer है और sk writer का बेटा भी है।
लाल=बेटा

#writcopoem #writcoapp #skgujjar


© Sudesh Chauhan (SK)