...

7 views

फागुन

डाली डाली कली कली संग अलि झूम रहे
वन उपवन में तो दिख रही प्रीत है ।।

मधु ऋतु चली आई मन में उमंग भारी
खेत खलिहान रंगे रंग भाए पीत हैं ।।

प्रकृति भी गए गीत नाच रहे सभी प्राणी
ऋतु यही सबकी तो बनी मन मीत है।।

ब्रह्म बेला उठ कर शान्त करें चित्त मन
मंत्र मुग्ध करता जो भ्रमर का गीत है ।।

सुभाष सेमल्टी‘विपी’
© All Rights Reserved

Related Stories