चाह अपनी जताते क्यों नहीं,, (ग़ज़ल)
2122 2122 212
चाह अपनी तुम जताते क्यों नहीं,
मिल के भी नज़रें मिलाते क्यों नहीं!
दिल की दिल में रखने से क्या फायदा,
दिल को आईना बनाते क्यों नहीं!
ढूँढते हैं रातभर तो ख़्वाब में,
ख़्वाब आकर तुम सजाते क्यों नहीं!
इस तरह तुमसे जो दिल ये जुड़...
चाह अपनी तुम जताते क्यों नहीं,
मिल के भी नज़रें मिलाते क्यों नहीं!
दिल की दिल में रखने से क्या फायदा,
दिल को आईना बनाते क्यों नहीं!
ढूँढते हैं रातभर तो ख़्वाब में,
ख़्वाब आकर तुम सजाते क्यों नहीं!
इस तरह तुमसे जो दिल ये जुड़...