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कोई टूट गया।
एक दिन वो तारा टूट गया।
कोई आया उसको लूट गया।
किसी ने फिर न मुड़ कर देखा,
कोई तन्हा पीछे छूट गया।
कोई राही कुछ पल तो ठहरा,
बन गया एक नाता गहरा।
एक नया उसे हमसफर दिखा,
फिर वो मुझसे रूठ गया।
एक रोज फिर मेरी गलती ढूंढी,
एक नफ्ज मेरी जल्दी ढूंढी,
मुझसे था होना जुदा उसे,
एक दिन फिर गुस्सा फूट गया।
© lekhan🌷
कोई आया उसको लूट गया।
किसी ने फिर न मुड़ कर देखा,
कोई तन्हा पीछे छूट गया।
कोई राही कुछ पल तो ठहरा,
बन गया एक नाता गहरा।
एक नया उसे हमसफर दिखा,
फिर वो मुझसे रूठ गया।
एक रोज फिर मेरी गलती ढूंढी,
एक नफ्ज मेरी जल्दी ढूंढी,
मुझसे था होना जुदा उसे,
एक दिन फिर गुस्सा फूट गया।
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