...

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कर्मवीर
महामारी के दौर में,
अफवाहों के शौर में,
चले कर्मवीर फर्ज निभाने,
सबके अलग- अलग ठिकाने,
डॉ.,पुलिस, सफाई वाले,
निकले घर से ये रखवाले,
नयेआइसोलेशन कोच,
खाद्य सामग्री, फल, दूध,
को सम्भाले रेल वाले,
घर वाले जहां पास न आते,
कर्मवीर वहां फर्ज निभाते,
क्वारेन्टाईन किये लोगों का , पहरा बनते,
भीड़ भाड़ से बचकर चलते,
परिवार से मिलने को ये तरसे,
कई दिनों से बाहर है घर से,
भय और फर्ज को साथ लिया है,
भारत को बचाने का वादा किया है,
बहुत लगे थे आरोप,
कि ये काम नहीं करते हैं,
देखो इनको अब,
फर्ज की खातिर ये मरने से नहीं डरते,
भारत की ये जीवन रेखा बने हैं,
देशभक्ति की भावना से सने है,
वाह माँ भारती ने क्या पूत जने हैं।
(डी एस गुर्जर" देव")