लिखने को तो बहुत कुछ है
लिखने को तो बहुत कुछ है,
पर मेरी प्रेरणा स्त्रोत कहीं गुम है,
क्योंकि जब जब कलम उठाता हूँ,
तो सोचता हूँ कि आज क्या लिखूँ....
कभी लिखना जो चाहता हूँ दर्द को,
तो मेरे शब्द मेरा मज़ाक उड़ाते है,
कहते है कि जीवन मे दर्द है तेरे,
पर तुम उस दर्द से अनजान हो,
जो आधार है जीवन का,
क्या लिख पाओगे उस दर्द को,
अपने शब्दों में...!
कभी लिखना जो चाहता हूँ मुस्कुराहट को,
तो मेरे शब्द उड़ाते है मेरी खिल्ली,
कहते है जब तुम्हारे होंठो पर मुस्कुराहट ही नहीं,
तो कैसे लिख सकते हो तुम मुस्कुराहट को,
क्योंकि जब मुस्कुराहट आती ही नहीं,
तो कैसे उतारोगे तुम कागज़ पर उस मुस्कुराहट को...!
© Rohit Sharma "उन्मुक्त सार"
पर मेरी प्रेरणा स्त्रोत कहीं गुम है,
क्योंकि जब जब कलम उठाता हूँ,
तो सोचता हूँ कि आज क्या लिखूँ....
कभी लिखना जो चाहता हूँ दर्द को,
तो मेरे शब्द मेरा मज़ाक उड़ाते है,
कहते है कि जीवन मे दर्द है तेरे,
पर तुम उस दर्द से अनजान हो,
जो आधार है जीवन का,
क्या लिख पाओगे उस दर्द को,
अपने शब्दों में...!
कभी लिखना जो चाहता हूँ मुस्कुराहट को,
तो मेरे शब्द उड़ाते है मेरी खिल्ली,
कहते है जब तुम्हारे होंठो पर मुस्कुराहट ही नहीं,
तो कैसे लिख सकते हो तुम मुस्कुराहट को,
क्योंकि जब मुस्कुराहट आती ही नहीं,
तो कैसे उतारोगे तुम कागज़ पर उस मुस्कुराहट को...!
© Rohit Sharma "उन्मुक्त सार"