...

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तुम समझते नहीं
तुम समझते नहीं, मेरे अंदर कभी तुम झांकते नहीं
इतना दर्द में हूं कि तुम्हे बयां ना कर सकता
गर कभी बता भी दुं तो तुम समझोगी मुझे नहीं लगता

बहुत लाचार होगया हूं में और चल नहीं सकता
पैर सुन पड़ गए है मेरे और तेरे साथ भाग नहीं सकता

इतना कमज़ोर हूं में अब की ये दुनियां भारी लगता
मुझे पता है कि अब और में उसको उठा नहीं सकता

तुझसे प्यार तो है बहुत दिलोजान से तुझे में चाहता
पर इस हालत में इज़हार करने को दिल नहीं मानता

मुझे पता है कि तुम भी मुझसे मोहब्बत करती हो
पर मेरे जवाब से तुम भी डरती हो

प्यार तो है बहुत पर तेरे साथ में ये सफ़र तय नहीं कर पाऊंगा
क्योंकि मेरा सफ़र इतना तक ही था मेरी मंजिल नजदीक तुझे यहां छोड़ कर जाऊंगा........
मुझे माफ़ करदेना पर में खुदा और मौत से ना लढ़ पाऊंगा...।।