...

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ख़ामोशी चुभती है
चिड़ियों ने भी
मेरे घर की
छत पे आना
छोड़ रक्खा है,
जब से मैंने छत पे
जाना छोड़ रक्खा है,
वो आती तो हैं,
पर मुझे न पा कर
दूर से ही पलट
जाया करती हैं,
कि उन्हें अब
शिकायत सी
होने लगी है मुझ से,
कि मैंने उनका ख़्याल
करना छोड़ रक्खा है,
हवाएँ भी जो गुजरती हैं
मेरे छत से,
बड़ी खामोशी से गुजरती हैं,
कि उन्हें भी शायद
मेरी कमी सी खलती है,
इस लिए हवाओं ने भी
अब शोर
मचाना छोड़ रक्खा है।।
#mere घर का छत
#chidiyaan जो मेरी #सहेलियाँ हैं
मुझ से मिलने नहीं आतीं अब...
उन्हें नाराज़गी है मुझ से कि मैं
उनसे अपनी दिल की बातें क्यों नहीं करती...
बिना वजह बताए क्यों उनसे मिलना छोड़ देती हूँ...

कहती हैं वो मुझ से,
तूने अपनी ये आदत नहीं बोली,
एक दिन हम सभी तुझे अकड़ू समझ कर तन्हा छोड़ जाएंगे...

किसी और को अपना दोस्त बना लेंगे,
फिर तुझ को भूल जाएंगे...

मैंने भी कहा गर तेरी दोस्ती जो सच्ची होगी,
कितना भी कोशिश कर ले भूल न पाएगी...
गर भूलना ही मक़सद है तो,
फिर बहानों की जरूरत ही क्या है.. 😏😏
#hawaaon ने भी #चुप्पी साध रक्खी है
कि उसे भी मेरी #ख़ामोशी चुभती है...
#Saaz




© Saaz