ख़ामोशी चुभती है
चिड़ियों ने भी
मेरे घर की
छत पे आना
छोड़ रक्खा है,
जब से मैंने छत पे
जाना छोड़ रक्खा है,
वो आती तो हैं,
पर मुझे न पा कर
दूर से ही पलट
जाया करती हैं,
कि उन्हें अब
शिकायत सी
होने लगी है मुझ से,
कि मैंने उनका ख़्याल
करना छोड़ रक्खा है,
हवाएँ भी जो गुजरती हैं
मेरे छत से,
बड़ी खामोशी से गुजरती हैं,
कि उन्हें भी शायद
मेरी कमी सी खलती है,
इस लिए हवाओं ने भी
अब शोर
मचाना छोड़...
मेरे घर की
छत पे आना
छोड़ रक्खा है,
जब से मैंने छत पे
जाना छोड़ रक्खा है,
वो आती तो हैं,
पर मुझे न पा कर
दूर से ही पलट
जाया करती हैं,
कि उन्हें अब
शिकायत सी
होने लगी है मुझ से,
कि मैंने उनका ख़्याल
करना छोड़ रक्खा है,
हवाएँ भी जो गुजरती हैं
मेरे छत से,
बड़ी खामोशी से गुजरती हैं,
कि उन्हें भी शायद
मेरी कमी सी खलती है,
इस लिए हवाओं ने भी
अब शोर
मचाना छोड़...