...

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फिर तुम नज़र आये मुझे
जब लड़ रहा था हालातों से,
ऊब चूका था बातों से,

जाने कैसे दुनिया बदली
जो तुमसे एक मुलाक़ात हुई
फिर तुम नज़र आये मुझे

करके दूर अँधेरे तुम
रौशनी में लाये मुझे

क्या गलती यहाँ जो भाये मुझे
क्यों तुम ही सुकून दे पाये मुझे

फिर क्यों न रखे उम्मीद कोई
जब तुम जीना सिखलाये मुझे
© IndoreKeGopal