...

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हर मोड़ एक सुबह
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो! तुम्हें इंतजार किसका?
नया पल का इस्तेक़बल करना है
सुबह का साजिश मे तुम्हें नही पड़ना
हर मोड़ को सुबह नाम देना है
कांटे भरी राह हो या फूलों से सजी
तुम्हें हर राह को सजाना है
सांझ आयेगी और फिर रात होगी
नयी दस्ताना हर लम्हा बुनती है
रौशनी को याद किये हम भी
रौशन होने का ताक़त बनाते है

© Afi@