तेरी पाती
एक छोटी सी पाती
जब खोली मैंने
कुछ सतरंगी सी तो कुछ अतरंगी सी
जाने कितनी ही बाते लिखी
तुमने जाने कितनी अनकही सी
कभी ख़ुशी लिखी
तो कभी ग़म
तो कभी मानना
तो कभी रूठ जाना ...
जब खोली मैंने
कुछ सतरंगी सी तो कुछ अतरंगी सी
जाने कितनी ही बाते लिखी
तुमने जाने कितनी अनकही सी
कभी ख़ुशी लिखी
तो कभी ग़म
तो कभी मानना
तो कभी रूठ जाना ...