...

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तेरी पाती
एक छोटी सी पाती
जब खोली मैंने
कुछ सतरंगी सी तो कुछ अतरंगी सी
जाने कितनी ही बाते लिखी
तुमने जाने कितनी अनकही सी
कभी ख़ुशी लिखी
तो कभी ग़म
तो कभी मानना
तो कभी रूठ जाना
तो कभी प्यार
तो कभी तकरार
तेरी पाती । मुस्कुराती
तेरे हथों में लगी मेंहदी
की वो भीनीं सी ख़ुशबू
आज भी महकती है तेरी पाती में
कभी इंतज़ार हुआ करता था
दर लगता था कि पढ़ूँ
या बस सीने से लगाये रक्खू
तेरी ख़ुश्बू में लिपटी । तेरी पाती
© 𝕤𝕙𝕒𝕤𝕙𝕨𝕒𝕥 𝔻𝕨𝕚𝕧𝕖𝕕𝕚

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