जिंदगी की किताब...
खुली किताब सी मैं..
पढ़ने दिया था तुमको..
जाने क्या सोच कर..
लिखना शुरु कर दिए.
खुली किताब सी मैं..
जज़्बात मेरे अपने..
जाने क्या सोच कर..
अपने अल्फ़ाज़ पिरोने लगे..
...
पढ़ने दिया था तुमको..
जाने क्या सोच कर..
लिखना शुरु कर दिए.
खुली किताब सी मैं..
जज़्बात मेरे अपने..
जाने क्या सोच कर..
अपने अल्फ़ाज़ पिरोने लगे..
...