फिर से
चांद के मुस्कुराने का इंतजार कर रही हूं
मैं शम्मा को फिर से जलाने की कोशिश कर रही हूं।
रात शायद ज्यादा है मेरे हिस्से में,
पर मैं फिर से उस खुर्शीद की राह देख रही हूं।
लब्जो को लबों पे लाने की कोशिश कर रही हूं।
म जमाने में उठ खड़े होने की...
मैं शम्मा को फिर से जलाने की कोशिश कर रही हूं।
रात शायद ज्यादा है मेरे हिस्से में,
पर मैं फिर से उस खुर्शीद की राह देख रही हूं।
लब्जो को लबों पे लाने की कोशिश कर रही हूं।
म जमाने में उठ खड़े होने की...