...

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तू झोंका हवा का
चंद पलों के लिए झकझोर दिया था तूने
पर मेरी जड़े आज भी वहीं पर है।
और तुम...तुम तो हवा का झोंका जो ठहरी
हर रोज नये किस्म के दरख्तों से टकराती हो