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मेरी शान तिरंगा है
शीर्षक-मेरी शान तिरंगा है

पिता कौन क्यों है लेटा ?
ओढ़े कफ़न तिरंगा,
कंधों पर ले चार खड़े हैं
आंख से बहती गंगा,

बेटा बुला रहा है उनको
करुणा से रो रोकर,
गिरी धरा पर मां शिथिल
सिंदूर अश्रु से धोकर,

आसमान में देख रही
पलकें बिना झुकाए,
मानों कोई बुला रहा
या खुद ही जी न पाए

किसके बिनु वह तड़प रही
जैसे जल बिनु शफरी
आग लगी हो मन जग में
जलती जीवन सगरी,

बेटा तुम नादान अभी
तुमको क्या समझाऊं?
हठ कर बैठा तात अगर
आ तुझको बतलाऊं,

कर लो शत् शत् नमन आज
उस धरती माता को
जिसने कर दिया अमर...