अकेलेपन का संग
अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
सूरज भी अकेला है, चाँद भी अकेला है,
तारे भी अकेले चमकते हैं,
आसमान की गहराई में खोए से।
अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
दरिया भी अकेला बहता है,
पहाड़ भी अकेले खड़े रहते हैं,
जंगल की वीरानगी में चुपचाप।
अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
रात भी अकेली होती है,
दिन भी अकेला चलता है,
हर मौसम...
सूरज भी अकेला है, चाँद भी अकेला है,
तारे भी अकेले चमकते हैं,
आसमान की गहराई में खोए से।
अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
दरिया भी अकेला बहता है,
पहाड़ भी अकेले खड़े रहते हैं,
जंगल की वीरानगी में चुपचाप।
अकेला बस तू ही नहीं यहाँ,
रात भी अकेली होती है,
दिन भी अकेला चलता है,
हर मौसम...