ज़िन्दगी का सफ़र
कवि - संजीत गोयल
कविता का नाम - ज़िन्दगी की सफ़र
ज़िन्दगी गुजर जाती है इंतहानो की दौर से
रात अभी जाती नहीं सुबह का इंतजार रहता है।
बहुत मतलबी निकल गई है ये ज़माना
यहां बिन मतलब का बेशर्त कोई किसी पर कुछ नहीं लुटाता है
ज़िन्दगी गुजर जाती है इंतहानो की दौर से
रात अभी जाती नहीं सुबह का इंतजार रहता है।।
यहां हर इंसान कभी कभी एक - दूसरे के सामने बुरा साबित हो जाते है...
कविता का नाम - ज़िन्दगी की सफ़र
ज़िन्दगी गुजर जाती है इंतहानो की दौर से
रात अभी जाती नहीं सुबह का इंतजार रहता है।
बहुत मतलबी निकल गई है ये ज़माना
यहां बिन मतलब का बेशर्त कोई किसी पर कुछ नहीं लुटाता है
ज़िन्दगी गुजर जाती है इंतहानो की दौर से
रात अभी जाती नहीं सुबह का इंतजार रहता है।।
यहां हर इंसान कभी कभी एक - दूसरे के सामने बुरा साबित हो जाते है...