सैरां मै कठै है, बे गांव रा ठाठ
गांव री कांदा -रोटी, सागै मोळी छाछ,
मिरचां री चटणी, अर राबड़ी रो सुवाद,
सैरां मै कठै है, बे गांव रा ठाठ !
सैरां मै कठै है, बे गांव रा ठाठ !
बाजरी से सीटो, तिलां रो कूटो,
चिणा गंवा री घुगरी,माखण रो चूंटियो,
काकड़ीयां रा खेलरा, टिंडसी रा फोफळीयां,
मोठ- मूंग रा पटोळीया, आटै री राबौड़ीयां,
खोखां री खोज,गुंवार फळी रो भोज,
बोरड़ी रा बोरिया, सांगरी रो साग,
चौमासे से कातीसरो, याद आवै आज,
सैरां मै कठै है, बेगांव रा ठाठ !
खुली बाखळ अर ठंडी पूरबाई पून,
दिन मैछान अर पछै तारा छायी रात,
डांगरा रो अड़ाव, धीणै री ढाक,
कोरी-कोरी मटकियां, बिनणीयां रो बणाव,
धोरां री धरती, उणमै आवै साव,
ओल्यू आवै म्हारे गांव री म्हनैं आज,
सैरां मैं कठै है, बे गांव रा ठाठ!
सैरां मै कठै है, बे गांव रा ठाठ!!
©Mridula Rajpurohit ✍️
🗓️ 14 April, 2023
💭MisSsing_memories 🗓️2020
© All Rights Reserved
मिरचां री चटणी, अर राबड़ी रो सुवाद,
सैरां मै कठै है, बे गांव रा ठाठ !
सैरां मै कठै है, बे गांव रा ठाठ !
बाजरी से सीटो, तिलां रो कूटो,
चिणा गंवा री घुगरी,माखण रो चूंटियो,
काकड़ीयां रा खेलरा, टिंडसी रा फोफळीयां,
मोठ- मूंग रा पटोळीया, आटै री राबौड़ीयां,
खोखां री खोज,गुंवार फळी रो भोज,
बोरड़ी रा बोरिया, सांगरी रो साग,
चौमासे से कातीसरो, याद आवै आज,
सैरां मै कठै है, बेगांव रा ठाठ !
खुली बाखळ अर ठंडी पूरबाई पून,
दिन मैछान अर पछै तारा छायी रात,
डांगरा रो अड़ाव, धीणै री ढाक,
कोरी-कोरी मटकियां, बिनणीयां रो बणाव,
धोरां री धरती, उणमै आवै साव,
ओल्यू आवै म्हारे गांव री म्हनैं आज,
सैरां मैं कठै है, बे गांव रा ठाठ!
सैरां मै कठै है, बे गांव रा ठाठ!!
©Mridula Rajpurohit ✍️
🗓️ 14 April, 2023
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